जीवन सजा दो वतन के लिए ( विदाई-संदेश )



जीवन सजा दो वतन के लिए (विदाई -संदेश )
=============================


खिलाओ सुमन, हर चमन के लिए ।
चलो अब विदा लो ,फिर मिलन के लिए ।।
चले जाओगे दूर ,हमसे कहीं ,
कभी दूर जाके ,हमें ना भुलाना ।
ये नाता है शिष्य-गुरू का रे नाजुक ,
इसे प्यारे बच्चो ,मन से निभाना ।।
करें वंदना हम , अमन के लिए ।
चलो अब विदा लो ,फिर मिलन के लिए ।।
तुम्हें डांटकर और तुमको सताकर ,
दिलोजान से ज्ञान तुमको दिया ।
त्रुटि को तुम्हारी नहीं माफ किया,
सही ज्ञान का भान तुमको किया ।।
जीवन सजा दो , वतन के लिए ।
चलो अब विदा लो, फिर मिलन के लिए ।।
राहें हैं लम्बी है बाधा का जीवन ,
होकर निडर जाओ ,मंजिल को पाओ ।
ले बे-सहारों को साथ अपने ,
उनको स्वयं जाके ,जीना सिखाओ ।।
"अनुज " साथ में है ,मनन के लिए ।
चलो अब विदा लो ,फ़िर मिलन के लिए ।।
खिलाओ सुमन ,हर चमन के लिए ।
चलो अब विदा लो , फिर मिलन के लिए ।।

डॉ अनुज कुमार चौहान "अनुज "
अलीगढ़ ( उत्तर प्रदेश )

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ