सादर समीक्षार्थ
क्षमा याचना
दोनों हाथ जोड़कर मैं क्षमा मांगता हूं
हुए जो भी अपराध कभी भी मुझसे हैं
जाने अनजाने हुई सभी भूलों को मेरी
कृपा कर आप क्षमा कर दीजिए आज..।।
दस लक्षण पर्व का हुआ आज शुभारंभ
दस दिन तक चलते ये अद्भुत महापर्व
त्याग दीजिए सिंचित सभी दुर्विचारों को
क्षमा कर दीजिए मेरे सभी अपराधों को..।।
क्षमा दान से बड़ा न कोई दान होता है
क्षमा तो वीरों का आभूषण होता है
भूल कर अपराध क्षमा जो कर देते हैं
ऐसे ही लोग अति महान कहलाते हैं ..।।
प्रायश्चित कर ले जो पापों का अपने
निकाल दे जो मन के सारे मैल अपने
निश्चय ही वह संत ही कहलाता है
मन से जो किसी को क्षमादान दे देता है..।।
डॉ. राजेश कुमार जैन
श्रीनगर गढ़वाल
उत्तराखंड
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