कवि शिवशंकर लोध राजपूत जी द्वारा 'नारी पर अत्याचार' विषय पर कविता

पटल को सादर नमन 🙏🙏आज दिनांक 26/08/2020 को "नारी गौरव सम्मान" दिवस पर मेरी स्वरचित कविता 
विषय :नारी पर अत्याचार 


*नारी पर अत्याचार*

हे मानव क्यों कर रहा तू, नारी पर अत्याचार
जिसने तुझे जन्म दिया, वह नारी ही थी!
मां बनकर बोध कराया, जिसने इस संसार से
पाल-पोस कर बड़ा किया, वह नारी ही थी!! 
बहन बन कर तेरी आरती की, हाथ पर रक्षा-सूत्र बांधा
अपनी रक्षा के लिए, वह नारी ही थी!
पत्नी बनकर प्यार दिया, तुझे परमेश्वर का मान दिया
तेरे प्राणों के लिए यमराज से लड़ी, वह ही नारी थी!!
तू मांस मदिरा का सेवन कर, क्यों भूल जाता नारीत्व को
क्यों नारी को वस्तु समझ,आपस में बांटता तू!
क्यों दुःशासन बनकर, चीरहरण करता नारी का
क्यों बन जाता है तू रावण, हरण करता सीता जैसी स्त्री का !!क्यों पुरुषार्थ को करता बदनाम,जिसने ना किया नारी सम्मान उसको नहीं मिलेगा भविष्य में मां, बहन,!
पत्नी और बेटी का प्यार, इनके बिना जीवन है बेकार
क्या अब भी हे मानव तू करेगा, नारी पर अत्याचार!!
अत्याचार, अत्याचार,.............

शिवशंकर लोध राजपूत ✍️
(दिल्ली)
व्हाट्सप्प no.7217618716

यह मेरी स्वरचित व मौलिक रचना है !

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