मेरी कविताओं को शब्द चाहिए,
शब्द कोष का ज्ञान नहीं।
भरा हो जिनमें अर्थ भण्डार
हो जिनमें अभिमान नहीं।
कुछ कविताएँ हैं चंचल मेरी,
कुछ करुण भाव में डूबी हैं।
मेरी कविताओं को प्रेम चाहिए,
चाहिए उन्हें सम्मान नहीं।
मेरी कविताओं को शब्द चाहिए,
शब्द कोष का ज्ञान नहीं।
परिचय करवाएं जो शब्द भेद से,
ऐसी कविताएँ हो मेरी।
छू लें जो हर अंतर्मन को,
जानें इच्छाओं को मेरी।
मेरी कविताओं को शब्द छोर चाहिए,
चाहिए शब्दों की खान नहीं।
मेरी कविताओं को शब्द चाहिए,
शब्द कोष का ज्ञान नहीं।
कविता के मधुबन में हर डाली पर,
भावों के हो फूल खिले।
जो शब्द सुगंध से परिपूरित हों,
श्रृंखला की पंक्तियों में।
मेरी कविताओं को मनुहार चाहिए,
शब्दों का ईमान नहीं।
मेरी कविताओं को शब्द चाहिए,
शब्द कोष का ज्ञान नहीं।
अनुराग बाजपेई(प्रेम)
पुत्र स्व० श्री अमरेश बाजपेई
बरेली (उ०प्र०)
८१२६८२२२०२
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