मंच को नमन
विषय- सुंदर जहां बनाएं आदर्श समाज बनाएं
बदलो विचार
अपने विचारों को बदलिए
सद राहे पर चलिए
दो कदम बढ़ा कर तो देखिए
प्रीति के अंकुर उगाकर तो देखिए
हम कहें और सब कहे
आओ सुंदर जहां बनाएं
आदर्श समाज बनाएं
द्वेष का त्याग करके तो देखिए
नेह दीप जला कर तो देखिए
खाईयां पट जाएंगी
दूरियां घट जाएंगी
सारा जहां कहे हम कहे
आओ सुंदर जहां बनाएं
आदर्श समाज बनाएं
तृष्णा लालच तो छोड़िए
रूढ़ियां तो तोड़िए
कर्म से रिश्ते बनाओ
ज्ञान की सरिता बहाओ
विश्व करे अभिनंदन
आओ सुंदर जहां बनाएं
आदर्श समाज बनाएं
वचन निभाना सीखिए
मर्यादाएं राखिए
घमंड को छोड़िए
सद्भावना अपना आइए
गगन धरा कहे हम कहे
आओ सुंदर जहां बनाएं
आदर्श समाज बनाएं
---------------------------
मैं घोषणा करता हूं कि यह रचना मौलिक स्वरचित है।
भास्कर सिंह माणिक (ओज कवि एवं समीक्षक) कोंच
विषय- सुंदर जहां बनाएं आदर्श समाज बनाएं
बदलो विचार
अपने विचारों को बदलिए
सद राहे पर चलिए
दो कदम बढ़ा कर तो देखिए
प्रीति के अंकुर उगाकर तो देखिए
हम कहें और सब कहे
आओ सुंदर जहां बनाएं
आदर्श समाज बनाएं
द्वेष का त्याग करके तो देखिए
नेह दीप जला कर तो देखिए
खाईयां पट जाएंगी
दूरियां घट जाएंगी
सारा जहां कहे हम कहे
आओ सुंदर जहां बनाएं
आदर्श समाज बनाएं
तृष्णा लालच तो छोड़िए
रूढ़ियां तो तोड़िए
कर्म से रिश्ते बनाओ
ज्ञान की सरिता बहाओ
विश्व करे अभिनंदन
आओ सुंदर जहां बनाएं
आदर्श समाज बनाएं
वचन निभाना सीखिए
मर्यादाएं राखिए
घमंड को छोड़िए
सद्भावना अपना आइए
गगन धरा कहे हम कहे
आओ सुंदर जहां बनाएं
आदर्श समाज बनाएं
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मैं घोषणा करता हूं कि यह रचना मौलिक स्वरचित है।
भास्कर सिंह माणिक (ओज कवि एवं समीक्षक) कोंच
Badlavmanch
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