सादर समीक्षार्थ
हाइकु
1 - प्रकृति हुई
कुपित, अतिवृष्टि
हुई है तभी
2 - प्रभु की लीला
अदभुत है होती
सभी को भाती
3 - भाग्य भरोसे
कब तक रहोगे
कर्म कर लो
4 - दिल दुखाओ
कभी न किसी का भी
दुखी रहोगे
5 - खुशियाँ बांटो
सदा सभी को तुम
खुश रहोगे
6 - सहारा बनो
सभी का सदा तुम
काम बनेंगे
7 - हक़ न छीनो
कभी किसी का तुम
रोते रहोगे
डॉ .राजेश कुमार जैन
श्रीनगर गढ़वाल
उत्तराखंड
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