कवि गौरव मिश्र 'तन्हा' जी द्वारा रचना

३०/०८/२०२०
💞स्वरचित 💞
       ✍️            न पाने की उम्र कोई ,
न खोने का इरादा है।
                      मिलन की आस है तुझसे,
न जुदाई का बादा है।

 प्यास आंखो में होंठो पर,
                 हर वक्त तेरा नाम रहता है
ये नशा है मोहब्बत का,
                   यहां जो सरेआम रहता है।
🎻गौरव मिश्र तन्हा🎻

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