कवि प्रकाश कुमार जी द्वारा सुंदर काव्य रचना

बदलाव मंच
स्वरचित रचना


तू खुदके बल चलना सीख।
गिरकर उठ सम्हलना सीख।।
क्या हुआ जो कोई तेरे साथ नही।
तू बनकर दीपक इस 
जहान को रौशन करना सीख।।

सफर तेरा है तुझे चलना है।
तू रौशनी को मोहताज नही
तुझे ये जहान को रौशन करना है।।

तू क्या भरोसा करता है जो 
पल दो पल का साथ निभाते है।
वादे करते है वो उम्र भर के लिए 
किन्तु कहाँ साथ निभाते है।।

तू ढुँढ मुश्किलों में भी अवसर
 तुझे स्वछंद मशाल बनना है।।
तू वक्त का मारा है तुझे अब
 हर सवालों का जवाब बनना है।।
 
तू हौसला मत हार क्योंकि 
तुझे बाजी मारना सीख
 तू माटी का लाल तुझे
 बनकर अक्षर जीना सीख।।

प्रकाश कुमार
मधुबनी, बिहार

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