रचनाकारा आराध्या अरु जी द्वारा ' जेहन में आया कि' विषय पर सुंदर काव्य

"जेहन  में  आया कि"
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बहुत हो चुकी गैरों की जीहुज़री
बहोत  करली मोहब्बत सबसे,
चलो अबके इश्क़ ज़रा कुछ
खुद से भी करके देख लिया जाए:

ज़माने के बंदिशों से खुद को 
 वक़्त रहते रिहा किया जाए,
नहीं होना किसी के उसूलों में कैद,
अपने उसूल अब खुद बनाया जाए:
*®©आराध्या अरु*

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