मंच को नमन
विषय-सावन गीत
आया सावन झूमकर गाए गीत मल्हार
रिमझिम रिमझिम बूंदों से चातक करें दुलार
पंख फैला मस्ती में नाच उठा है मन मोर
बिजली चमके गगन बिच सताय मन चितचोर
आम्र की डाल पड़े झूलेने फैला दी बांह
रंग बिरंगे फूल खिले छाई खुशियां चहुंओर
प्रेम पांश बंध बरखा करे धरा से प्यार
आया सावन झूम कर गाए गीत मल्हार
सतरंगी इंद्रधनुष ने मौसम किया सुहाना
नाचे मोर कह मोरनी नांदा दीवाना
तितली सम उड़ें पतंगे नव छूने को आतुर
प्रिय प्रिय मिलन के ना- ना खोज रही बहाना
लता वृक्ष से आलिंगन कर करती हैं आभार
आया सावन झूमकर गाए गीत मल्हार
भाई कलाई रक्षा बंधन बांधे बहना
करती है सुखद कामना जग की हर बहना
प्रीति भरे मन मंदिर में पल-पल दीप जलाती
एक छत के नीचे मिलजुल कर खिलाती रहना
हरित चुनरिया ओढ़ कर धरा ने किया श्रृंगार
आया सावन झूमकर गाए गीत मल्हार
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मैं घोषणा करता हूं कि यह रचना मौलिक स्वरचित है।
भास्कर सिंह माणिक (कवि एवं समीक्षक) कोंच, जनपद- जालौन, उत्तर -प्रदेश-285205
Badlavmanch
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