कवि डॉ. राजेश कुमार जैन जी द्वारा मनहरण घनाक्षरी...

सादर समीक्षार्थ
 मनहरण घनाक्षरी


अजब है विद्या ज्ञान 
   किंतु न हो अभिमान 
       प्रसार इसका आप 
          खुद ही कराइये..।।


अज्ञानी ना कोई रहे 
   ज्ञान की ही गंगा बहे
      जन-जन कोभी आप
         ज्ञान तो बताइये..।।

 खोल मन के तू द्वार
     निकाल सभी विकार 
         निर्मल मन में फिर
              ज्ञान बरसाईये..।।

 दूर कर शंका सभी
      बाधा रहे नहीं कोई 
          स्वयं धरा पर आप
             वेद ज्ञान दीजिये ..।।


डॉ. राजेश कुमार जैन
 श्रीनगर गढ़वाल 
उत्तराखंड

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