शहीद की पत्नी


शहीद की पत्नी

देश के वीर अमर शहीदों को,
       शत-शत नमन हजारों बार।
           सबसें पहले नमन है उनकों,
              जिसनें दिया अपना सुहाग उतार।
हर साल शहीदों की यादों में,
     श्रद्धांजलि उन्हें दी जाती है।
          उस वीर-वधु के समर्पण की,
              नही याद किसी को आती है।
वो तो मरकर अमर हो गए,
     वीर-वधु का समर अभी तो जारी है।
           एक दिन मरना तो हैं सबकों,
              पर जीकर मरना बड़ा भारी है।
तुम तो मरकर अमर हो गए,
     तम्हारी पत्नी का मरना जारी है।
         वो तो शहीद होती हरपल हर- क्षण,
             माँ-बाप और बच्चों की जिम्मेदारी है।
अंदर पी लेती तेरी यादों के आँसू भी,
     क्योंकि तेरे बच्चों की कमान संभाली है।
          जीवन देकर देश सेवा में भी तुम जिंदा हो,
               वो तो जिंदा मरी हुई बस धड़कन जारी है।
पाषाण हृदय बनना ही होगा उसको,
     विधवा नही अमर शहीद पति की नारी है।
         अपनें दिल का किसको बतलायें वीर-बधू ,
               अपनें बच्चों की बाप और महतारी है।
अपनें वीर-पति की वीरता का आधार ,
      उन अमर शहीदों की वीर अर्धागिनी है।
          नमन करेंगें उसका मिलकर हमसब, 
             उस वीर-वधु का सारा वतन आभारी है।
                                                  जयहिंद!
        💐समाप्त💐 स्वरचित और मौलिक
                             सर्वाधिकार सुरक्षित
                  लेखिका:-शशिलता पाण्डेय

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