कवि रमेश चंद्र भाट जी द्वारा 'कविता - अविधा दोष'

दिनांक--30-08-2020

शीर्षक- अविधा दोष
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स्वरचित रचना
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दुख से तू बचना चाहे तो ,
अविधा दोष मिटाले रे मानव,
सत्य ज्ञान अपना |

नारी ने तुझे जन्म दिया है,
उसका कर सम्मान रे मानव,
दिल ना उसका दुखा |

जन्म से प्राणी शूद्र ही होते,
द्विजता तू अपना ले रे मानव,
उत्तम विधा पा |

विधा का आभूषण धरकर,
संस्कार जगाले रे मानव,
जीवन सफल बना|

ब्राह्मचर्य धर शिक्षा पाकर,
गृहस्थधर्म निभाले रे मानव,
आश्रम धर्म निभा ले |

सब प्राणी ईश्वर ने बनाए,
भेदभाव मत कर रे मानव,
सबको गले लगा|

अविधा दोष मिटाने के लिए,
पढ़ सत्यार्थ प्रकाश रे मानव, 
वैदिक शिक्षा पा |
🙏🙏🙏🙏🙏🙏
द्विज- जन्मना जायते शूद्र, संस्कारात द्विज उच्चयते। यानी विधा प्राप्त करके ही ब्राह्मण, क्षत्रिय व वैश्य आदि उपाधी धारण करते हैं। जिसे कितना भी पढाओ विधा ग्रहण नहीं होती वह शूद्र (जाती से नहीं) यानी कम ज्ञानी।
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नाम-रमेश चंद्र भाट
पता-टाईप-4/61-सी,
रावतभाटा, चितौड़गढ़,
राजस्थान।
मो.9413356728

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