मंच को सादर नमन.. 🙏🙏
विषय : मायाजाल
विधा :कविता
इस सतरंगी सी दुनिया में
मिलावट के रंग ज्यादा हैं..
यहां कोई नहीं अपना
मेरे मुंह पर मेरा और
तेरे मुंह पे तेरा है...
इस मायाजाल की दुनिया में
बस अपने कर्म पथ पर बने रहो..
दुनिया तो कमी निकालेगी पर
अपने मंजिल पर बढ़े चलो..
कुछ मिलेंगे उनमें अपने तो
कुछ मिलेंगे पराए भी...
कुछ लोग सराहेंगे तुमको
कुछ लोग गिराना चाहेंगे..
यह खट्टे - मीठे अनुभव ही
तुम्हें जीवन पथ पर आगे बढ़ाएंगें..
अपने सपनों को साकार करने
कंटीले औ सुनसान राहों पर
तुम्हें अकेले चलना होगा..
हे पथिक ! बिना रुके तुम्हें
अपनी मंजिल को पाना होगा.....!!
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"शालिनी कुमारी "
"शिक्षिका "
मुज़फ़्फ़रपुर (बिहार )
(स्वरचित मौलिक रचना )
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