प्रसिद्ध कवयित्री गीता पाण्डेय जी द्वारा 'अभिव्यक्ति' विषय पर रचना

शीर्षक-अभिव्यक्ति
विधा गीत 27.08.2020
मेरा आज भी तू है, मेरा कल भी तू है।
मेरी हर मुश्किल का हल भी तू है।
मेरा आन भी तू है, मेरा शान भी तू है।
मेरी इस जिंदगी का संधान भी तू है।
मेरा गीत भी तू है, मेरा राग भी तू है।
मेरी हर खुशियों का अब भाग भी तू है।
मेरा अर्पण भी तू है, मेरा दर्पण भी तू है।
मेरी हर अभिलाषाओं का समर्पण भी तू है।
मेरा गौरव भी तू है, मेरा सौंदर्य भी तू है।
मेरी हर उप्लब्धधियों का ऐश्वर्य भी तू है।
मेरा अविराम भी तू है, मेरा अभिराम भी तू है।
मेरी तमन्नाओं का चमकता ललाम भी तू है।
मेरा सूरज भी तू है, मेरा चंदा भी तू है।
मेरी कल्पनाओं में नहीं कोई फंदा भी तू है।
मेरा नाज भी तू है, मेरा साज भी तू है।
मेरी अभिलाषाओं का आगाज़ भी तू है।
मेरा आकार भी तू है, मेरा प्रकार भी तू है।
मेरी इस तरुणाई में स्वीकार भी तू है।
मेरा सूर भी तू है, मेरा कविरा भी तू है।
मेरी इन तन्हाइयों का मदिरा भी तू है।
मेरा राही भी तू है, मेरा माही भी तू है।
मेरी पगडंडियों की आवाजाही भी तू है।
मेरा वादा भी तू है, मेरा इरादा भी तू है।
मेरी इच्छाओं में समाहित ज्यादा भी तू है।
मेरा प्यार भी तू है, मेरा इजहार भी तू है।
मेरी इस जीवन नैय्या का खेवनहार भी तू है।
मेरा मानी भी तू है, मेरा जानी भी तू है।
मेरी इस जिंदगी की सम्पूर्ण कहानी भी तू है।
मेरा आज भी तू है, मेरा कल भी तू है।
मेरी हर श्वासों का अब मनोबल भी तू है।
 
          गीता पांडेय
  रायबरेली-उत्तरप्रदेश

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