नानी का घर

नानी का घर 
सुबह होते ही कालिमा अपने नानी के घर की ओर जाने लगी| नंगे पैर दस वर्ष की कालिमा को रास्ते में कोई भी दिखाई नही दे रहा था| चलते चलते खुद से कहते जा रही थी ,” आज तो ईश्वर सब आप के हाथों में ....  घर से तो चल ही पड़ी हूँ तो कभी न कभी पहुंच ही जाऊंगी....|” 
चलते चलते कालिमा खट खट की आवाज़ सुनके खुद से पूछने लगी,” लगता है कोई साइकिल पर आ रहा है ? इन्ही से ही पूछ लू,” भैया... रुको ... रुको ...रुको.... |” 
साइकिल वाला साइकिल रोक के इधर उधर देखते हुए,” इतनी सुबह इस सुनसान रास्ते में बच्ची की आवाज़ ? “ 
साइकिल वाला साइकिल  रोक कर डाँटते हुए कहता है,” तुम इस समय यंहा क्या कर रही हो? कौन हो तुम? तुम्हें जंगली जानवरों से डर नही लगता..... तुम्हारे माँ बाप ढूँढ रहे होंगे |” 
कालिमा डरते हुए कहती है , “ रास्ता भूल गई हूँ मुझे कठुआ नानी के घर जाना है | कठुआ की बस कितने बजे आएगी | “
“ हे भगवान माँ बाप का रो रो के चाहे बी बुरा हाल हो रहा हो | इसे नानी के घर की पड़ी है आयेगी तेरी कठुआ की गाड़ी आठ बजे ... यह आजकल के बच्चे ..माँ बाप की परवाह ही नहीं ?” इतना कहकर साइकिल वाला चला जाता है |
कालिमा गाड़ी का इंतज़ार करती रही | बच्ची समझ के कोई भी बस में चढ़ा नहीं रहा था| इसलिए तीन गाडियों के गुजर जाने के बाद कालिमा पैदल चलते चलते नानी के घर पहुंच जाती है| घर के दरवाजे की घंटी बजाते ही उसके नाना की नींद टूटती है,” इस दोपहर की तेज़ गरमी में कौन आया है |” 
दरबाजा खोलते ही नाना की आँखे खुली की खुली रहती है | और वो कालिमा को गले से लगाते हुए पूछते है ,” कालिमा तुम ... इस हालत में .. घर में सब ठीक तो है |” 
कालिमा के गंदे कपड़े और बिखरे बाल देखके उसके नाना जी परेशान हो जाते हैं| उसे पकड़ के अंदर ले जाते है | और उसे अपने बैड़ पर बैठाते है | कालिमा की नानी कालिमा की ऐसी हालत देखकर ज़ोर ज़ोर से रोने लगती है ,” नानी अब में अपने घर नहीं जाऊंगी ...यहीं रहूगीं तुम्हारे साथ ...|” 
कालिमा का रूदन सुनके उसकी सुनीता और रानी मामी बाहर आती है | कालिमा को देख कर हैरान हो जाती है | सुनीता कालिमा को पकड़ के कहती है ,” जो लड़की तीन तीन फ़राक बदलती हो | आज इस हालत में .... राम ... राम ...राम ..बच्ची की क्या हालत हुई है ?” 
कालिमा के नाना ने उसे पानी का गिलास देते हुए कहा,” कालिमा ... क्या हुआ है ? तुम इतनी घबराई क्यों है ? तुम्हें किसी ने कुछ कहा ?“ 
कालिमा बताते हुए कहती है,” नानू … मम्मी पापा मुझे बहुत मारते है | खाना भी नहीं देते | दादी थी तो अपना भी मुझे दे देती थी | दादी के गुजर के जाने के बाद पापा भी प्यार नहीं करते | स्कूल भी नहीं जाने देते | जब आप मिलने आते थे तो नई माँ मेरा स्कूल बैग अलमारी में छुपा देती थी | मुझे बाथरूम में बंद करके आप से झूठ बोले देते थे | कालिमा स्कूल गई है |या खेलने के लिए पड़ोस में गई है |” कालिमा गिलास थमाते हुए ,” नानी मैं अब कभी भी पापा के पास नहीं जाऊंगी .... आप की कसम|” 
कालिमा की नानी इतना सुनकर दुखी होकर लम्बी साँस भरते हुए ,” हे प्रभु ये दिन भी देखने थे | फूल सी बिन माँ  की बच्ची की ज़िम्मेदारी भी ह्में हीं  उठानी पड़ेगी | इतनी छोटी सी बच्ची के साथ कुछ ऊंच नीच हो जाती तो … आजकल माहौल कितना खराब है |” 
कालिमा की नानी कालिमा के पिता को कोसते हुए,” हमारी बेटी को मरे हुए साल भी नही हुआ तो दूसरी शादी करके हमारी नाती के हाथ में सौतेली माँ नाम का कोयला लाकर रख दिया| हम सोचते रहे ह्मारी नाती बहुत सुखी है | ह्मारा दामाद जो अपनी बेटी की एक पल के लिए आँखों से ओझल नहीं होने देता था| आज दूसरी पत्नी के कहने पर अपनी फूल सी नाज़ुक बेटी को  दुख दे रहा है ताकि घर छोड़ के चली जाए | तभी कहते है दूसरी शादी के बाद आदमी अंधा हो जाता है | आने दो ऐसी फटकार लगाऊगीं कि याद रखेगा |” 
“ नानी कोई फायदा नहीं... पापा ने तो काम कब से छोड़ा था |मम्मी आपसे कुछ नहीं बताती थी| अगर ऐसा होता तो अपना इलाज़ नही करबाती | माँ की क्रिया कर्म पर सारा खर्च किया था|पिता जी ने उसमें से भी पैसे बचा लिए थे | उन्हें कुछ भी कहने का कोईं फायदा नहीं| “ 
कुछ दिन के बाद कालिमा के पिता उसे लेने आए तो कालिमा ने पहचानने से इन्कार कर दिया | कालिमा को  अपने नाना नानी के साथ खुश देखकर उसके पिता शर्मिंदा होकर बिना कुछ कहे चले गए | किसी ने उन्हें बैठने के लिए नहीं कहा | सकालिमा अपने नाना नानी और मामा मामी के साथ खेल में मस्त थी 
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