आज राजनैतिक ऋषि भूतपूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेई जी की द्बितीय पुण्यतिथि है आज ही के दिन क्रूर काल ने उनको हम से छीन लिया
श्री वाजपेई जी ने शालीनता और नैतिकता की राजनीति अपनाई और संकीर्ण राजनीति से सदा दूर रहें
वो एक दार्शनिक और महान कवि थे और प्रखर वक्ता थे
सरस्वती का उन पर अपार कृपा थी मैं स्कूल के समय से वाजपेई जी का प्रशंसक था और उनके भाषण सुनता था संसद में उनके ओजस्वी वाणी विपक्षियों का भी दिल जीत लेती थी १९५७ में जब संसद में चुन कर आए तो अपनी भाषा एवं भाषण कला से पूरी संसद का दिल जीत लिया था तब तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री जवाहर लाल नेहरू ने भविष्य वाणी की थी कि अटल जी एक दिन भारत के प्रधानमंत्री बनेंगे जो कि सच साबित हुई
अटल जी हिन्दी के प्रचार-प्रसार में विशेष रूप से कार्य करते थे १९७७ में जब वो मोरारजी देसाई के मंत्रीमंडल में विदेश मंत्री थे तब उन्होंने संयुक्त राष्ट्र संघ में हिंदी भाषा में भाषण दे कर हिंदी भाषा का मान बढ़ाया
विदेशों में वो अपनी भाषा का प्रयोग करते थे और मातृभाषा की पताका हमेशा ऊंची फहराई बंगला देश के राष्ट्र कवि क़ाज़ी नजरूल इस्लाम को हिंदी में श्रृद्धांजलि अर्पित कर के वहां के नेतृत्व को आश्चर्यचकित कर दिया
जम्मू में तत्कालीन जनसंघ के वरिष्ठ नेता पंडित प्रेम नाथ डोगरा जी को हिंदी भाषा में श्रृद्धांजलि अर्पित की
वो उदार सृहदय और खुले विचारों के व्यक्तित्व के स्वामी थे वो पहले जनसंघी विदेश मंत्री थे जिन्होंने मुस्लिम देशों में अपनी क्षमताओं का लोहा मनवाया और सफलता अर्जित की वो विनोदी स्वभाव के व्यक्ति थे जटिल और गंभीर सवालों को हंसी मजाक में हल करते थे
उन की योग्यता के। उन के विरोधी भी कायल थे
1992 में तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री पी वी नरसिम्हा राव ने उनके नेतृत्व में भारतीय प्रतिनिधिमंडल संयुकत राष्ट्र संघ मेंभेजा तब के विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद उनके नेतृत्व में शामिल थे पूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी भी देश विदेश के मामलों में उनसे परामर्श लेती थी
उन्होंने राजनीति में मुल्यों की स्थापना की
वो चाहते तो जोड़ तोड़ की राजनीति अपना कर कुर्सी पर चिपक सकते थे लेकिन उन्होंने नैतिकता को अपनाया
आज वाजपेई जी हमारे बीच नहीं हैं लेकिन वो वैचारिक तौर पर सदा हमारे दिलों में अंकित रहेंगे
इन्हीं शब्दों के साथ मैं वाजपेई जी को श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं
युगों युगों तक वो याद रहेंगे
जब तक सूरज चांद रहेगा अटल जी तुम्हारा नाम रहेगा
अशोक शर्मा वशिष्ठ
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