बदलाव मंच कवि एवं समीक्षक भास्कर सिंह माणिक कोंच जी द्वारा 'भारत' विषय पर काव्य

मंच को नमन
 रचना का शीर्षक- भारत

भारत  देश  बचाना है
आतंकवाद मिटाना है

जो  जला रहे  घाटी को
जो  बेंच  रहे  माटी को
अब लड़ना है गद्दारों से
बचा  लो  आजादी को

अपना चमन सजाना है
भारत   देश  बचाना  है

घर-घर दीप जलाना है
तम  को मार भगाना है
आंगन में तुलसी महके
सबको  यही  बताना है

शत्रु  को धूल चटाना है
अपना  देश  बचाना है

चाहे     नक्सलवादी    हों
चाहे      रूढ़िवादी       हों
बचें न पत्थर फेंकने वाली
या      अलगाववादी    हों

नफरत   हमें   मिटाना  है
भारत   देश    बचाना   है

खून  खराबा  हो  न  पाए
रिश्ता  कोई  टूट  न  पाए
लालच में मत फस जाना
घर   कोई   लूट   न  पाए

अपना  वचन  निभाना  है
भारत    देश    बचाना  है

जो   अरि  आकर   टकराए
महके  चमन में आग लगाए
छुपकर   घात   करे    कोई
मिलकर उसे सबक सिखाएं

अपनी संस्कृति रखाना है
भारत    देश   बचाना   है
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मैं घोषणा करता हूं कि यह रचना मौलिक स्वरचित है।
भास्कर सिंह माणिक (कवि एवं समीक्षक)कोंच, जनपद-जालौन उत्तर- प्रदेश-285205

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