कवयित्री शशिलता पांडेय जी द्वारा 'ज़िन्दगी लंबी नहीं बड़ी चाहिए' विषय पर कविता

💐जिन्दगी लम्बी नही बड़ी चाहिए💐
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ज़िन्दगी कब? साथ छोड़ जायेगी!
     ठीक से ये मालूम किसी को नही।
        हर लम्हें का लुत्फ उठाना पड़ेगा हमें!
            जिन्दगी चाहें छोटी लम्बी हो सही।
लीजिए पल-पल जिन्दगी का मजा!
      गमों में हर लम्हा गुजर जायें न कहीं।
           कुछ सपनें नयनों में सजा लीजिए!
              ज़िंदगी से ख़ुशी बिखर ना जायें कहीं।
अपनें लियें नयें लक्ष्य चुन लीजिए!
       अपनें सपनों को खुद से बुन लें तो सही।
          फिर सपनों का सच का जीवन दीजियें!
            ज़िन्दगी दुनियाँ की भीड़ में ना खो जायें वहीं।
अपनी ज़िंदगी को भीड़ से अलग किजियें!
    जालिम दुनियाँ में अस्तित्त्व खो जायें ना कहीं।
         अपनें अस्तित्व का कुछ तो जतन किजियें!
          जीवन की बगियाँ से खुश्बू उड़ ना जायें कहीं।
पुष्प बनकर खुशबू का सृजन किजियें!
     पहाड़ों में भी पथ बन जायेगा सही।
         कुछ अपनें से भी आप प्रयत्न कीजिये!
           सूरज और किरणें भी सिखाती है वहीं।
सुबह देकर रोशनी शाम को ढल जाइये!
    चाँद शीतल चाँदनी फैला भोर में छुप जाता कहीं।
          सबक थोड़ा चाँद से भी ले लिजियें!
            जिन्दगी बड़ी होनी चाहिए लम्बी नही।
              ऐसा अमर कृत्य ज़िन्दगी में कर जाइये!
ज़िन्दगी हमें पहले ही  छोड़ जायें न कहीं।
        अपनीं यादों में कुछ सुगंध छोड़ जाइये!
             ज़िन्दगी अपनें सफर में रूकेंगीं कहाँ?
                उसे अपनी मर्जी पर छोड़ दीजिए!

🎂समाप्त🎂 
स्वरचित और मौलिक
  सर्वाधिकार सुरक्षित
  
लेखिका-शशिलता पाण्डेय

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