ना कमी आने दी
ना नमी आने दी।
देश के वीर थे वो
ना जमीं जाने दी।।
वो तो विजय के
लहर थे मौजी थे।
माँ भारती के लाल।
दिल से फौजी थे।।
चाहा बहुत था अंग्रेजों ने
टुकड़े टुकड़े करने को।
पर अन्ग्रेजों के मंसूबों
पर पानी फेर दी।।
लाख टके का मोल नही
उन विरो ने तो अपनी
अमूल्य जिन्दगानी दी।।
आजाद हुआ देश ये
उनका प्रयास था देश के
ऊपर पूर्ण विस्वास था।
इसलिये उन्होंने कुर्बानी दी।
आओ हम झुक कर नमन करे
उन विरो को आज फिर
जिन्होंने हमें भेंट आजादी दी।।
प्रकाश कुमार
मधुबनी, बिहार
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