दिनाँक 28।08।2020
विधा छन्द
शीर्षक लाल
स्वरचित
वतन सुरक्षा पर जो बलिदान हुए पूज्य,
धन्य जिंदगानी जोकि मातु पर लुटा गए।
जिंदगी सहादत दिला गई विजय का हार,
चाल असफल फिर शत्रु मात खा गए।
लिपट तिरंगे में जो आए लाल लाल होके,
फर्जी लाल का जो लाल हो के भी निभा गए।
स्वर्ण अक्षरों में वीर बाँकुरे स्वनाम धन्य,
नव इतिहास में वह प्रथम लिखा गए।
फक्र है उन मांवो पे जिन्होंने जने ऐसे लाल,
कोख उनकी धन्यकर तिरंगे को लहरा गए।
गीता पांडेय
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