कवि राजीव रंजन जी द्वारा 'तीज' विषय पर रचना

तीज के अवसर पर अपनी अर्धांगनी के लिए लिखी गई ये पंक्तियाँ —
मेहंदी की महक,बिंदीया की चमक,पायल की झंकार,
मांग में सिंदूर,आँखों में काजल,गले में मंगलहार।
खील उठता है यौवन तेरा जब करती सोलह श्रृंगार,
तू ऐसे ही बैठी रहे मैं करता रहूँ दिदार।
एक-दूजे के जीवनसाथी जैसे गौरी-शंकर,
तुम हो मेरी प्राणेश्वरी मैं हूँ तेरा सहचर ।
तीज का त्यौहार भादो का महीना है,
वादा करता हूँ प्रिय तेरे संग ही जीना है ।
✍नादान कलम (राGव) २१ अगस्त २०२०

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