टीना का सफर भाग1#प्रकाश कुमार मधुबनी जी द्वारा खूबसूरत रचना#

टीना का सफर भाग 1
टीना एक बिहार के छोटे गाँव की रहने वाली लड़की जो अपने अधिकार के लिए हमेशा हुई लेकिन वह कभी नही घबराई उसके साथ जो भी हुआ उसे वह चुनौती मानकर बड़े बहादुरी से लड़ी।
आज टीना अपने गाँव से चली तो बहुत खुश थी कि हो ना हो अब उसके जीवन में सफलता उससे दूर नही क्योकि आरती उसकी दोस्त अब दिल्ली में रहती है व आज वह सफल है। उसके पास गाड़ी बड़ा मकान सुख सुविधा सबकुछ  है। अभी हाल ही में टीना ने आरती से कहा था वह दिल्ली में रहकर आगे बढ़ना चाहती है सो वह उसके लिए कोई अच्छा जॉब ढूंढ दे तो आरती ने उसे बताया कि वह अपने बॉस से बात कर चुकी है व बॉस ने उसे अपने कम्पनी में रखने के लिये हाँ कर दिया है इसलिए टीना अपने निकटतम राजनगर रेलवेस्टेशन आई थी तथा उसकी माँ दादा दादी छोड़ने के लिए साथ आये थे। टीना बोली कि वे चले जाएं वह ट्रेन में स्वयं बैठ जाएगी लेकिन वह कहाँ मानने वाले थे उन्होंने बताया कि वह बिना ट्रेन में बिठाए वापस नही जाएंगे खैर बिहार सम्पर्क क्रांति एक्सप्रेस ट्रेन प्लेटफार्म नंबर एक पे लग गई सभी टीना को उसके शीट s1 में ग्यारह नम्बर पे था नीचे वाला स्लीपिंग वर्थ, सभी ने टीना को बैठा दिया। दादा जी बोले देखो बेटा हम तुम्हे तुम्हारे जिद के बजह से भेज रहे है अन्यथा तुम्हारे बूढ़े में अभी इतनी जान है कि तुम्हे गाँव मे कोई कमी नही होगी।अब तुम जा रही हो तो ध्यान से जाना और दिल्ली शहर में सही से रहना। किसी भी आदमी से ना उलझना। ओहो दादा जी मैं समझ गई अब आशीर्वाद दो गाड़ी खुलने वाली है। अच्छा माँ चलती हूँ। टीना ने दोनों को प्रणाम किया। माँ बोली बेटा तुम मत भूलना तुम्हारे पिता जी फ़ौज में थे उन्होंने अपने काम के प्रति हमेशा सचेत थे। उन्होंने अपने जान दे दिए लेकिन अपने कर्म से मुँह नही फेरा। मैं यही कहना चाहती हूँ मन लगाकर काम करना और कोई भी समस्या हो तो लड़की नही लड़के बनके उससे निपटना ठीक है और अपना ख्याल रखना अच्छा ट्रेन खुल गई हैं हम उतरते हैं जीते रहो खुश रहो। ये कहकर दादाजी माँ ट्रेन से उतर गए । माँ और दादाजी के आंखों में आशु था। टीना का मन भी रोने जैसा लग रहा था खैर वह खुश थी। कि अपने परिवार के लिए कुछ बड़ा करना है क्योंकि वह अपने घर की इकलौती सन्तान है।
टीना का ध्यान अपने डिब्बे में गया तो देखा सामने वाले शीट पे एक तीन लोगों का परिवार बैठा हुआ है। एक औरत उसका पति व एक छोटा सा प्यारा सा बेटा तीनो खुश लग रहे है। तभी टी टी आया सभी का टिकट चेक करके चला गया। टीना को नींद आ रहा था सो बै को सिराहने रखकर सो गई उसे बस एक बात की फिक्र थी कि रास्ते मे कोई बैग ना लेके चले जाएं इसलिए बीच बीच मे उठके बैग देखती फिर सो जाती। धीरे धीरे खिड़की से गर्म हवा आने लगा क्योंकि दोपहर हो चला था उसने खिड़की बन्द कर दिया फिर रात को करीब 3 बजे उठी क्योकि अब उसे नींद नही आ रहा था फिर खिड़की से लग के बैठ गई सभी सो रहे थे किंतु बच्चा जाग रहा था बड़ा प्यारा सा गोल मटोल टीना देखके मुस्कुराई बच्चा खिलखिलाकर हँसने लगा उसे बिल्कुल नहीं लग रहा था कि सामने वाली अनजान है। खिड़की से टीना ने देखा जंगल स्टेशन फिर जंगल मानो ट्रेन 170km की रफ्तार से चल रही हो। उसने फोन में देखा दादा जी का माँ का करीब 50 से ऊपर मिसकॉल है और मोबाईल साइलेंट है टीना ख़ुदसे बोली अरे ये मैने क्या किया कॉल कर कर के घरवाले परेशान हो गए होंगे। क्या करूँ अब कॉल करू या सुबह करू क्या करूँ उसने कॉल लगाया तो माँ ने एकबार में ही उठा लिया। अरे माँ तुम रात में सोई नही क्या अभी रात के 3 बज रहे है और तुम जागीं हो,टीना ने पूछा, माँ ने उत्तर दिया बेटा कम से कम फ़ोन तो उठा लेती हम घर पे कितना परेशान हो रहे थे। अरे माँ मैं सो गई थी अभी देखी छमा करदो सायद फोन सोते समय साइलेंट हो गया था। तुम परेशान मत हो मैं ठीक हूँ।अच्छा तूने खाना खाया बता माँ बोली। माँ वो मैने साम में दो चार लिट्टी निकाल कर खा लिया था। आप आराम से सो जाओ और दादाजी से कह देना परेशान ना हो मैं आज सुबह 7.30 पे नई दिल्ली उतर जाऊँगी आप परेशान मत हो अभी कानपुर स्टेशन आने वाला है पन्द्रह मिनट में अच्छा अब रखती हूँ प्रणाम खुश रहो बेटा अपना ध्यान रखना। ठीक है माँ। ऐसा कहकर टीना ने कॉल काट दिया। सुबह के 6 बज गए सभी केंटीन वाले चाय चाय गर्म चाय चिल्लाने लगे टीना का सर दर्द कर रहा था इसलिए उसने एक चाय लिया पीने लगी। अरे ये तो बिल्कुल पानी लग रहा है भैया। अरे मैडम ये आपके घर की चाय नही है समझे 10 रुपये की चाय में आपको मलाईदार चाय थोड़े ही मिलेगा। टीना को इसको सुना दू खड़ी खोटी लेकिन उसने फिर सोचा क्या मुँह लगना पैसे देकर चाय को जैसे तैसे पी कर फेक दिया। सामने वाला भी उठ गया था उसकी पत्नी उसके कन्धे के सहारे सो रही थी बच्चा भी नींद में पड़ गया था। टीना देखकर नजर घुमा लिया। तभी ट्रेन की रफ्तार धीमी होने लगी उस आदमी ने पूछा बहन देखो तो कौन सा स्टेशन है टीना ने देखा तिलकब्रिज लिखा था बोर्ड पे जी तिलक ब्रिज है। तभी वह अपने पत्नी को उठाया अरे उठो तिलकब्रिज स्टेशन पहुँच गए हम अब अगला स्टेशन नई दिल्ली ही है वो भी करीब 20 मिनट में। उठो जल्दी अपने समान निकालना है टिंकू को उठाओ उठो। उसकी पत्नी बोली हई रुकु ना अखन समय छै अहू परेशान भेल जाई छि। आदमी के बार बार जगाने पे वह उठ गई। बच्चे को उठाकर बोली टिंकू उठु  बौवा आईब गेलिए चलु उठु बच्चा भी गाँव का भाषा समझता था उठ गया। सभी लोग अपना समान उठाकर शीट पे रखने लगे टीना भी अपना दोनो बैग को हाथो में पकड़ कर खड़ी हो गई ट्रेन आखिरकार नई दिल्ली के प्लेटफॉर्म 9 पे लग गई। सभी उतरने लगे और वहाँ से उतरकर टीना ने ओला बुक किया और अपने सहेलि के घर जो कि महिपाल पुर में था पहुँच गई पहुँचते ही फ्लेट के सामने रिमझिम खड़ी थी निकलते ही उसे गले लगा लिया ड्राइवर ने समान निकाल कर रखा पैसा लेकर चला गया। टीना ने समान उठाया और समान लेकर साथ चली गई फ्लैट बस कुछ गज की दूरी पे था। अंदर देखने पे पता चला कि यह वास्तविक रूप में एक अलीशान फ्लैट लग रहा था ऐसी लगा हुआ था फर्स पे मार्बल बिछा हुआ था सामने बालकनी से देखने पे फ्लाइओवर पे गाड़ी की लाईन दिखती थी। टीना बोली अरे रिमझिम तू तो शानदार फ्लैट ले रखी है कितना किराया है इसका? रिमझिम बोली देखो टीना मेरा नाम रिमझीम गाँव में है यहाँ रीमा कहते है इसलिए तुम मुझे रीमा ही कहना ok. टीना हँसने लगी अच्छा चला रीमा मैडम अब तो ठीक है ?  दोनों हँसने लगे। रीमा बोली तू फटाफट तैयार हो जा मैं खाना लगाती हूँ आज मैं तेरे वजह से ही छुट्टी करी हूँ अभी ख़ाके आराम कर ले फिर साम में बैठ के आराम करेंगे। ठीक है टीना बोली कहके नाहाकर रीमा करके दोनो ने खाना खाया फिर दोनों आराम करने बैड पे सोने चले गए।
और टीना दोनो देर रात में उठे। तो टीना बोली यार मैं चाहती हूँ कि तू मुझे जॉब पर लगा दे। फिलहाल कोई छोटी मोटी जॉब भी चलेगी मुझे तो अभी। टीना की बात सुनकर टीना टेबल पर खाना लगाते हुए बोली तू परेशान नही हो।मैने बॉस से बात की है।दोनो फिर टहलने निकली कुछ पल टहलने के बाद दोनों आकर सो गए। रात के 11:40 समय हो गया था।

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