सादर समीक्षार्थ
विधा - सायली छंद
विषय - बच्चे
1 - बच्चे
होते सच्चे
ईश्वर का रूप
सभी बतलाते
उन्हें
2 - प्रभु
आते हैं
बाल रूप धर
इस धरा
पर
3 - बच्चे
मन के
होते हैं सच्चे
कहते हैं
सब
4 - बच्चे
भगवान का
अवतार होते हैं
सभी हैं
मानते
5 - बच्चों
के बिना
जग सूना है
सभी मानते
हैं
6 - बच्चों
की दुनियां
होती है निराली
जीकर तो
देखो
7 - बच्चों
संग मैं
भी बच्चा बन
जाऊँ, खूब
खेलूँ
8 - बचपन
गया न
लौटा , बुढ़ापा आया
न गया
कभी
9 - बचपन
की बातें
याद हैं आती
उम्र भर
सालती
10 - बचपन
की यादें
उम्र भर हैं
सताती सभी
को
11 - सभी
ढूंढते हैं
बचपन तुझे तू
कहाँ गया
अब
12 - बचपन
तुझे कहाँ
से लाऊँ उठाकर
एक बार
आजा
डॉ. राजेश कुमार जैन
श्रीनगर गढ़वाल
उत्तराखंड
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