गरिमा विनित भाटिया* जी द्वारा मधुरवाणी विषय पर बेहतरीन रचना#

*नमन-बदलाव मंच* 
 
 *शीर्षक- मधुरवाणी* 


लफ़्जो के है जायके हजार 
स्वादिष्ट परोषी बातों में 
चख लिए जाये है कई बार 
जो बोले तीखे बोल 
तो सम्बनधो में 
तीखापन बसर जाता है 
कभी गर्म मिजाज 
की गरमाहट 
झगडे या आँसूओं को 
छिप छिप पनाह देती हैं 
कभी शिकायते 
प्यार में नाराजगी का 
कारण हो जाती हैं 
और जिन्दगी 
नमक हो जाती है
असर, प्यार के रिश्तो की 
कुछ चमकती ,
चमक खो जाती है 
मधुरवाणी का 
अपना एक किरदार है 
हर मीठा पहलू 
इसका हिस्सेदार है 
दुश्मन भी दोस्त बन जाए 
जब मुख से फूल झड़ जाए 
जब बोले मधुरवाणी
 गुस्सा होता पानी पानी 
जीवन में करे हमेशा,
 सही शब्दों का अर्पण 
 मधुरवाणी ही है
 श्रेष्ठ व्यक्तित्व का दर्पण 
 समबन्धों में ,
 माधुर्य की प्यास रहती है 
 मधुरवाणी से ही ,
 जीवन में मिठास रहती है 

 *गरिमा विनित भाटिया* 
 *अमरावती महाराष्ट्र*

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