वक्त#निर्मल जैन 'नीर' जी द्वारा बेहतरीन रचना#

समय/वक्त...
*******************
वक्त की मार~
इससे कोई बचा
नही है यार
बढ़ता चल~
वक्त के नये स्वप्न
गढ़ता चल
कोई न मोल~
यह समय बड़ा
ही अनमोल
रीत न जाये~
समय यों ही व्यर्थ
बीत न जाये
नही रहता~
वक्त मुट्ठी में रेत 
सा फिसलता
*******************
निर्मल जैन 'नीर'
ऋषभदेव/उदयपुर

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ