शांत सरोवर सा है दरिया
बादल अब आक्रांत कहां
बूंदे गिरती तालाबों में
मन में अब विश्रांत कहां
प्रखर किरण है सूर्य देव की
फिर भी मन व्याकुल क्यों है
मुझमें रचा बसा क्यो कोई
बूंदों की औकात कहाँ
सुनील दत्त मिश्रा फिल्म एक्टर लेखक बिलासपुर छत्तीसगढ़
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