पवित्र रिश्ता#कवयित्री-शशिलता पाण्डेय जी द्वारा शानदार रचना#

     🌹पवित्र रिश्ता🌹
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दिल मे जिसके निस्वार्थ,
प्रेम की अविरल धारा।
एक ऐसा रिश्ता,
जिसकी नही कोई भाषा।
जिसने अपने  दिल की,
हर धड़कन में हमें उतारा।
एक रिश्ता जिसे कभी,
नही होती कोई आशा।
जिसे हमारे हर दुख-सुख में,
बहे निरंतर अश्रु-धारा।
जो करे सुखी जीवन की,
हमारे हरपल अभिलाषा।
अपना हर दुख-सुख,
करती हमपर वारा-न्यारा।
ये ईश्वरीय निश्वार्थ भाव का,
एक अद्भुत रिश्ता।
ऐसा रिश्ता हो सकता,
पवित्र एक माँ के जैसा।
इस धरा पर अपना,
दूजा भगवान या फरिश्ता।
जिस सहारे इस धरा पर,
हमारी जीवन-धारा।
जिसने पल-पल मरकर भी,
हरदम निभाया अपना नाता,
जिसमें अग्नि सदृश्य तपकर,
हमारा जीवन सँवारा।
ममता और प्रेम की अनुभूति ही,
जिसकी अपनी परिभाषा।
दूजा कोई भी रिश्ता,
इस धरती पर हो नही सकता।
जहाँ देता नही कोई संबल,
वहाँ भी बनती संबल माता,
अपनी स्वार्थी संतान भी हो,
लेकिन निभाती पवित्र रिश्ता।
शायद! कोई भी इस जग में, 
रिश्ता ,अपनी माता के जैसा।
महान और निश्वार्थ सारे जग में
संतान से जननी का पवित्र-रिश्ता।
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स्वरचित और मौलिक
सर्वधिकार सुरक्षित
कवयित्री-शशिलता पाण्डेय

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