हम भी कभी दादा की बाँहों में झूलें थे
हम भी कभी दादा की गोदी में खेले थे
हम भी कभी दादा की बाँहों में झूलें थे
वो मेरे प्यारे दादा पापा के पापा थे
हम उनके लाडले पोते बेटे के बेटे थे
रोज घुमाते थे स्कूल पहुँचाते थे
चाट खिलाते थे मेला घुमाते थे
आज भी याद हमको चवन्नी देते थे
हमको मनाते थे खिलौने दिलाते थे
वो मेरे प्यारे बाबा हम उनके लल्ला थे
वो मेरी दादी प्यारी कहानी सुनाती थी
बाँहों में भरकर चिपका कर सुलाती थी
मेरे पापा की मम्मी वो प्यारी दादी थी
अब तो ये सपना है सपना ही अपना है
सपने में आते है बचपन दोहराते है
मुझको समझाते है प्यार बरसाते है
लक्ष्य" वो मेरे दादा थे तेरे पर दादा थे
हम भी कभी बाबा की बाँहों में खेले थे
कदमों में जन्नत थी प्यार लुटाते थे
हम भी कभी दादा की गोदी में खेले थे
स्वरचित निर्दोष लक्ष्य जैन
6201698096
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