हर झूठे बंधन को तोड़कर
जो अपनी जिंदगी आज़ादी से जिऊंगा।
छोड़ दूंगा वो हर हाथ
जो आगे खींचने के बदले पीछे खींचेगा।
तोड़ दूंगा वो हर रस्मो रिवाज
जो मुझे झूठे बंधन से बांध कर रखेगा।
मैं उसके ही साथ चलूंगा
जो ज़िंदगी जीने का सलीका सिखायेगा।
मैं वो हर काम करूंगा
जो मुझे ज़िंदगी जीने में सिर्फ खुशी देगा।
नहीं करना है मुझे औरों को खुश
जिसके लिए मुझे पल पल दुख मिलेगा।
नहीं रखना है वो हर रिश्ता
जो सिर्फ़ मतलब की बुनियादी पे चलेगा ।
नहीं रखना है मुझे दोस्ती
जो घमंड और ताकत के बल से चलेगी ।
हां ये मैं ही हूं
अपनी ज़िंदगी किसी के मुताबिक नहीं
अपनी ज़िंदगी अपने तरीके से जिऊंगा।
©रुपक
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