कवि निर्दोष लक्ष्य जैन जी द्वारा रचना ( विषय-प्यार प्यार प्यार )

प्यार प्यार प्यार 

   प्यार, प्यार , प्यार आओ प्यार करें 
              सब है बेकार यार सिर्फ प्यार करें 
   अवनी से करें अम्बर करें चंदा से करें 
        सूरज से करें तारों से करें बहारों से करें 
   प्यार , प्यार,  प्यार ,आओ प्यार करें 
        आज करें और अभी करें पल,पल से करें 
   हम  तुमसे   करें       तुम हमसे करो 
             सब  , सब  से करें     बस प्यार करें 
   वतन से करो  इस  चमन से करो  
               मंदिर से करो   मस्जिद  से   करो 
  पंक्षी  से करो   पशुओ से करो 
                   माता से करो    पिता से  करो 
  बुजुर्गों से करो बच्चों    से करो 
          कण, कण से करो क्षण,  क्षण से करो 
  मेरे यार करो सिर्फ प्यार  करो 
             "लक्ष्य"  धरो      सिर्फ प्यार   करो 
  इस मिट्टी का तिलक करो 
              प्यार,प्यार, प्यार, सिर्फ प्यार करो 

                  स्वरचित ....... निर्दोष  लक्ष्य जैन 
                   20।8।20      6201698096

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