प्रभु मूरत....
लाड़ लड़ाती~
माँ संतान के लिए
जान लुटाती
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कोई न मोल~
माँ इस दुनिया में
है अनमोल
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ख़ुशी या गम~
माँ का प्यार कभी न
होता है कम
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माँ की सुरत~
उसमें छुपी होती
प्रभु मुरत
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करो प्रणाम~
माँ के आँचल में है
चारों ही धाम
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निर्मल जैन 'नीर'
ऋषभदेव/उदयपुर
(राजस्थान)
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