बिगड़ल या#मैथिली कविता# प्रकाश कुमार मधुबनी जी द्वारा बेहतरीन रचना#

स्वरचित रचना
बिगड़ल या
कविता

सबटा तीमन तरकारी के
आब स्वाद बिगड़ल या।

सवाल त ओहिना या
मुदा आब जवाब बिगड़ल या।।

करै सब बाहर मेहमाननवाजी।
मुदा घरक आब हालात बिगड़ल या।।

केकरा पर करब आब भरोसा यौ।
 अपनापन के एहसास बिगड़ल या।
घरबार छूटल बसलौ दिल्ली मुम्बई।
मुदा अखनो मनक मिजाज बिगड़ल या।।

कहब त कहबै की देखियों केना कहै छतीन।
मुदा बतलाबी त अब हवा बरसात बिगड़ल या।।

प्रकाश कुमार मधुबनी

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