कवयित्री अर्चना गुप्ता जी द्वारा 'बेटी' विषय पर रचना

#बेटी 


बेटियों पर क्या लिखूँ 
उनसे ही समस्त संसार है
चाहे लाख बेटे को पूजो
पर बेटी ही सृजन आधार है
उनसे ही मिलती रहती 
खुशियों की हर धूप है
देख उसे मन हर्षित होता 
ममता, प्रेम का हर रूप है 
वो तो है तपती गर्मी में 
शीतल सी सुरभित एक छाँव 
कर्तव्य पथ पर डटकर रहती
थकते नहीं उनके कभी पाँव 
चिड़िये की चहक सी बोली
खिलखिलाती सी लगती भोली
उनसे ही घर आँगन उजियारा 
क्यों बेटी को जाता कोख में मारा 
धरती का वो बोझ नहीं है 
संस्कार निभाती रोज वही है
बेटों से भी है ज्यादा जरूरी 
गर ना हो तो ये कायनात अधूरी
समझे माँ का हर दु:ख अपना
माँ बाप का रखती मान
श्रद्धा और विश्वास से उनका 
करती पूरा हर अरमान 
अब बंद करो बेटियों की हत्या 
मत बन कातिल तू इंसान 
जीवन पथ पर बढ़ जाने दे
गढ़ लेने दो नए आयाम 

अर्चना गुप्ता 
अररिया बिहार

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