कवि भास्कर सिंह माणिक कोंच जी द्वारा रचना ( विषय-जीवन)

मंच को नमन

   शीर्षक -जीवन

कुछ कर लें सत्कर्म जीवन में
अपना निभाएं  धर्म जीवन में

जहां सूरज रोज निकलता है
जहां दीप  प्रेम का जलता है
अंधियारे  से  क्या   घबराना 
प्रिय शूल में फूल मचलता है

न आने पाए अर्धम जीवन में
कुछ कर लें सत्कर्म जीवन में

मत  मन  में  बैर को पलने दें
सद्भाव  की  सरिता  बहने  दें
हमें अवरोधों  से  क्या  डरना
लक्ष्य पर कदमों  को बढ़ने दें
समझ समय का अर्थ जीवन में
कुछ  कर  लें  सत्कर्म जीवन में

जिसने  रचे  नव पृष्ठ जीवन में
बने   वही   उद्धरण  जीवन  में
बनता  संघर्षों  से कुंदन जीवन
है  अनमोल  जीवन, जीवन  में

माणिक कर परमार्थ जीवन में
कुछ  कर लें सत्कर्म जीवन में

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मैं घोषणा करता हूं कि यह रचना मौलिक स्वरचित है।
भास्कर सिंह माणिक (कवि एवं समीक्षक)कोंच

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