राष्ट्रकवि दिनकर जयंती#गीता पांडेय (प्रवक्ता) जी द्वारा अद्वितीय रचना#


🇮🇳राष्ट्रकवि  दिनकर जयंती🇮🇳
23 सितंबर 1908 की ,
          तिथि हो गई है धन्य ।
जन्म लिया धरती ,
          पर कवि दिनकर मूर्धन्य ।।
ग्राम सिमरिया जिला बेगूसराय ,
       प्रांत बिहार का हुआ सौभाग्य ।
पुत्र रत्न प्राप्ति पर माता-पिता ,
         मनुरूप देवी-रविसिन्ह का अहोभाग्य ।
उम्र हुई थी केवल दो वर्ष ,
    किसन पिता का दुखद निधन ।
विधवा माता ने किया ,
      इनका भाई-बहनों संग पालन।।
बचपन से कैशौर्य तक ,
       रहा ग्रामीण प्रकृति परिवेश ।
अस्तु उन्होंने भली भांति समझा ,
   ग्रामीण जीवन का सारा क्लेश ।।
प्रारंभिक शिक्षा ग्राम निकट ,
       राष्ट्रीय मिडिल स्कूल से प्राप्त किया ।|
पटना विश्वविद्यालय से ,
     बी०ए० ऑनर्स परीक्षा पास किया ।
 इसी मध्य वैवाहिक जीवन ,
        फिर एक पुत्र के पिता बने।
 प्रधानाध्यापक बन जीवनयापन,      
       का अति सुंदर का मार्ग चुने ।।
 मन पीड़ा उभरी, राष्ट्रीय भाव जागा ,
           विचार मंथन शुरू हुआ ।
रेणुका, हुंकार ,रसवंती रचनाकर ,
        कवि कर्म का शुभारंभ हुआ ।।
 सन(1947)उन्नीस सौ सैंतालीस में,
      भारत जब पूर्ण स्वाधीन हुआ।
सन(1952)उन्नीस सौ बावन में ,
   प्रथम संसद का निर्माण हुआ ।।
अध्यापन पेशा से उतर,
         राज्यसभा के सदस्य बने।
12 वर्षों तक सांसद रहे फिर,
   भागलपुर विश्वविद्यालय कुलपति बने ।।
भारत सरकार ने 1965 से 1971 तक ,
अपना हिंदी सलाहकार बनाया ।।
 फिर दिल्लीवासी बनकर ,
    पद का उत्तरदायित्व निभाया ।।
कविधर्म के अनेक सोपानो से ,
     आजीवन जुड़ाव बनाते रहे ।
मुक्तक प्रबंध कालों की रचनाकर ,
          कविधर्म भी निभाते रहे ।।
कुरुक्षेत्र,रश्मिरथी,उर्वशी रचकर,
              सर्वोच्च पर पहुँच गये ।
अन्य वीररस रचनाओ से ,
      राष्ट्रीय चेतना भी जगाते  गये ।।
1970 के दशक में क्रांति तेवर से ,       
         देश मे क्रांति अलख जगाया ।
उनसे ही प्रेरित हो जयप्रकाश ने ,
  सरकार विरोध का शंख बजाया ।।
अल्लामा,इकबाल रबिन्द्रनाथ टैगोर,
    उनके थे असली प्रेरणा के स्त्रोत ।
इतिहास राजनीति में दर्शनशास्त्र,
      ज्ञान से रहे सदा ही ओतप्रोत ।।
 साहित्य अकादमी पद्म विभूषण ,
 ज्ञानपीठ राष्ट्रकवि के मिले पुरस्कार। 
डाक टिकट भी उनके नाम से ,
      जारी करवाया भारत सरकार ।।
 आजादी में चीन हमले के समय , 
      राष्ट्रीय चेतना का संचार किया ।
 हरदम क्रांति का बिगुल बजाकर ,
        युवा चेतना को तैयार किया ।।
 ऐसा बहुआयामी व्यक्तित्व ,
          अनंत है जिसका यशकोष ।
सन 1974 में निष्ठुर काल ने , 
   ले लिया उनको अपने आगोश ।।
"गीता" आज भी उनके अमूल्य योगदान  को ,
 श्रद्धा सुमन अर्पण करती है।
उनकी शुभजयन्ती पर आज उन्हें 
कोटि कोटि नमन करती है।

" रामधारी सिंह दिनकर-अमर रहे " .         
     जय राष्ट्रकवि

गीता पांडेय (प्रवक्ता)
रायबरेली , उ०प्र०

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