कवयित्री डॉ. रेखा मंडलोई जी द्वारा 'चीन को ललकार' विषय पर रचना

पटल को नमन, दिनकर जयंती के अवसर पर दिनकर जी की एक उत्कृष्ट रचना ' कृष्ण की चेतावनी' की चार पंक्तियां प्रस्तुत कर दिनकर जी के प्रति अपने श्रद्धा सुमन अर्पित है- 
बाधा- विघ्नों को चूम- चूम,
सह धूप- घाम, पानी पत्थर,
पांडव आए कुछ और निखर।
सौभाग्य न सब दिन सोता है,
देखें आगे क्या होता है।

दिनकर जी राष्ट्रीय कवि थे और ओज पूर्ण काव्य की रचना करते थे अतः एक ओज पूर्ण  स्वरचित कविता पटल पर प्रस्तुत हैं जिसका शीर्षक है-       'चीन  को ललकार'                  लद्दाख की गलबान घाटी में बस गूंजे एक ही नारा।
चीन तुझे ललकार रहा है यह भारत देश हमारा।
देश पर जीना देश पर मरना यही है धर्म हमारा। 
देश को अब भय मुक्त बनाए यही देखा  सपना प्यारा।
अब जागो देश की युवा पीढ़ी देश ने तुम्हें पुकारा।
चीन से दो - दो हाथ करने का मौका न मिलेगा दोबारा।
चीनी आक्रांताओं से आज घायल हुआ हिमालय प्यारा।
हॉट स्प्रिंग्स, घाघरा, गलबान पर ना करना वार दोबारा।
गंगा की निर्मल लहरों में भी गूंजे सतत यह नारा।
तूफ़ानों सी आग लगा जलाओ चीनी सामान अब सारा।
चीन के व्यूह चक्र के सस्ते जाल में ना फंसेगा देश दोबारा।
भरो हुंकार वीर सपूतों, बचाओ देश हमारा प्यारा।
आज दुश्मनों की होली का करो प्रण पूरा तुम्हारा।
बन देश के सच्चे प्रहरी चहुं ओर लहराओ तिरंगा प्यारा।
   डॉ. रेखा मंडलोई इंदौर
                  

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