कवि दिनेश चंद्र प्रसाद "दीनेश" जी द्वारा "झिलमिल तारे" विषय पर रचना

बदलाव अंतरराष्ट्रीय-रा
दिनाँक -२२-९-२०२०
शीर्षक-"झिलमिल तारे"

अम्बर में चमकने वाले झिलमिल तारे
अपनी-अपनी पहचान रखते हैं ये सारे
कवि कल्पना करे कविता इनके सहारे
कितने प्यारे होते हैं ये झिलमिल तारे
झिलमिल तारे ये झिलमिल हैं सितारे

कोई दिशा का ज्ञान करे इनके सहारे
ये तो खुद चमकते हैं कुदरत के इशारे
बड़ो को लुभाते ये बच्चों के भी दुलारे
शाम होते ही गगन में चमकें हैं ये तारे
झिलमिल तारे ये झिलमिल हैं सितारे

राजा इनके हमारे बच्चों के चन्दामामा
इन्हें देख खुश होते रजनी और श्यामा
कभी झिलमिलाते कभी हैं छिप जाते
हमारे जैसे चमको यही सबको बताते
झिलमिल तारे ये झिलमिलाते सितारे

इनके परिवार का मुखिया है ध्रुवतारा
बड़े बुजुर्ग हैं ये सतभैया ऋषि सितारा
सबसे ज़्यादा चमक रखता  शुक्रतारा
अनगिनत असंख्य हैं ये झिलमिल तारे
झिलमिल तारे ये झिलमिलाते सितारे

आते हैं लेके ये चाँदनी रात की बहारें
प्रेमी के संग  प्रेमिका अपलक निहारे 
लगते हैं ये कितने न्यारे-न्यारे ये तारे
मन हर्षित हो जाता गम जाते किनारे
"दीनेश" झिलमिल तारे ये सितारे तारे

दिनेश चंद्र प्रसाद "दीनेश" कलकत्ता
रचना मेरी अपनी मौलिक रचना है।

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