कवयित्री शशिलता पाण्डेय जी द्वारा 'जब गोद लिया था हमने' विषय पर रचना

जब गोद लिया था हमने
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जब 'गोद लिया था हमनें
 लगी थी वो मुझे प्यारी सी'।
 चंचल हवाओं सी',
 खूबसूरत फिजाओं सी।
उज्ज्वल,चाँदनी' लिए 
   चाँद सी ।
खिले गुलाब की'
 कोमल,पंखुड़ियों सी।
'मन के आँगन में',
"बिखेरती खुशियों सी।
 चमकते,गरजते,बरसते''
  वर्षा के बूंदो सी"।
 मेरी भावनाओ' सी 'कोमल'
  परिकल्पनाओं सी ।
  'किलकारियों से गुंजित,
   'बिखेरती' अपनी हँसी"।
   धवल,चांदनी की'
    उज्ज्वल किरणों सी।
    'ईश्वर- प्रदत्त''अनमोल,
      उपहार सी।
      निरंतर 'बिखराती अपनी
      हँसी फूलों सी।
'मेरी प्यारी पौत्री' "प्रियांशी"         
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स्वरचित और मौलिक
सर्वाधिकार सुरक्षित
लेखिका:-शशिलता पाण्डेय

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