जब गोद लिया था हमने
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जब 'गोद लिया था हमनें
लगी थी वो मुझे प्यारी सी'।
चंचल हवाओं सी',
खूबसूरत फिजाओं सी।
उज्ज्वल,चाँदनी' लिए
चाँद सी ।
खिले गुलाब की'
कोमल,पंखुड़ियों सी।
'मन के आँगन में',
"बिखेरती खुशियों सी।
चमकते,गरजते,बरसते''
वर्षा के बूंदो सी"।
मेरी भावनाओ' सी 'कोमल'
परिकल्पनाओं सी ।
'किलकारियों से गुंजित,
'बिखेरती' अपनी हँसी"।
धवल,चांदनी की'
उज्ज्वल किरणों सी।
'ईश्वर- प्रदत्त''अनमोल,
उपहार सी।
निरंतर 'बिखराती अपनी
हँसी फूलों सी।
'मेरी प्यारी पौत्री' "प्रियांशी"
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स्वरचित और मौलिक
सर्वाधिकार सुरक्षित
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