कवि निर्मल जैन 'नीर' जी द्वारा रचना (विषय-कर लो दान)

कर लो दान...
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कर लो दान~
यही साथ आयेगा
कहना मान
धन का मद~
कभी मत करना
घटाता कद
दान फलता~
जब किसी को पता
नही चलता
भटका तन~
चार दिन चाँदनी
अटका मन
कोई न अर्थ~
बिना दान पुण्य के
जीवन व्यर्थ
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निर्मल जैन 'नीर'
ऋषभदेव/उदयपुर
राजस्थान

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