कवयित्री रंजना वर्मा उन्मुक्त जी द्वारा 'चील' विषय पर रचना

*चील*
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 आज का दिन काव्या के लिए बहुत खास था। बहुत दिनों से वह एक प्रोजेक्ट को पूरा करने में जी-जान से लगी हुई थी। यह प्रोजेक्ट उसका सपना था। काम पूरा होने पर उसने इसकी सूचना अपनी टीम लीडर को दी। टीम लीडर ने उसे शाबाशी दिया और प्रोजेक्ट की हार्ड कॉपी उसे देने को कहा। काव्या बोली कि जब प्रेजेंटेशन उसे ही देना है तो हार्ड कॉपी वही रखती है। इस पर टीम लीडर ने कहा कि यह नियम है कि हार्ड कॉपी उसके पास ही जमा करना पड़ेगा।
    काव्या बहुत खुश थी। इस प्रेजेंटेशन के बाद उसकी पदोन्नति पक्की है। वह जल्दी जल्दी तैयार हो रही थी ।समय से दफ्तर पहुंचना जरूरी था। वह जल्दी जल्दी नाश्ता कर रही थी, तभी उसकी मां बोली," लगता है बारिश होने वाली है। जरा छत पर से कपड़े ले आओ, नहीं तो भीग जाएंगे।"
   वह नाश्ते की थाली लेकर ही छत पर चली गई। थाली को मुंडेर पर रखकर वह तार पर से कपड़े उतारने लगी ।बादल को देखने के लिए उसने आकाश की ओर देखा, उसकी नजर तेज गति से आते हुए चील पर पड़ी ।उसने झट से तार से उतारे हुए कपड़ों को थाली पर डाल दिया। चील का वार खाली गया। वह मुस्कुरा उठी।उसे  बचपन की एक घटना याद आ गई ।स्कूल में वह अपनी सहेली के साथ मैदान में लंच कर रही थी। तभी एक चील तेजी से आयी और झपट्टा  मारकर उसका टिफिन लेकर उड़ गयी ।उसे बड़ा गुस्सा आया था। उसकी सहेली बोली,"दुनिया इस तरह के चीलों से भरी पड़ी है ।
 "लेकिन मैं अपना समान इन्हें छिनने नहीं दूंगी।"..... वह बोली। फिर तो वह बहुत सतर्क रहने लगी थी, और उसके बाद चील उसका लंच कभी नहीं छीन पायी थी।
  काव्या कपड़े और अपनी थाली लेकर नीचे आई ।उसे दफ्तर जाने में देरी हो रही थी। उसने जल्दी अपना बैग उठाया और चप्पल पहन कर चल पड़ी। दरवाजे पर मां दही- शक्कर की कटोरी लेकर खड़ी थी। जल्दी एक चम्मच दही खाकर वह घर से निकल पड़ी। दफ्तर पहुंची तो वहां बड़ा सन्नाटा था। पूछने पर पता चला सभी लोग हॉल में है। वह जल्दी-जल्दी हॉल में पहुंची तो, वहां का नजारा देखकर दंग रह गई। हॉल में दफ्तर के सारे लोग बैठे थे और टीम लीडर उसके प्रोजेक्ट को अपना प्रोजेक्ट बताकर सबके सामने पेश कर रहा था।
 " यह सब क्या हो रहा है?".....वह बहुत जोर से चीखी।..... उसे लगा एक बार फिर चील ने झपट्टा मारा है।
  " मिस काव्या बैठ जाए।"....टीम लीडर ने उसे बैठने के लिए इशारा किया।
  " आप मेरे प्रोजेक्ट को अपना कैसे बता सकते हैं..... और प्रेजेन्टेशन  मुझे देना था, आप क्यों दे रहे हैं?"
  " तुम्हारे पास क्या प्रूफ है कि यह प्रोजेक्ट तुम्हारा है ? "....टीम लीडर ने उससे गुस्से के साथ पूछा।
 " सर ,आपने मुझसे इसका हार्ड कॉपी मांगा था, उसी समय मैंने इसका साॅफ्ट कॉपी अपने इसी ऑफिस के पांच दोस्तों को भेज दिया था ।"...वह बोली।
 उसी समय उसके पाँचो दोस्त उसके समर्थन में खड़े हो गए। टीम-लीडर अवाक सा खड़ा रह गया। वह हंस पड़ी। चील का वार इस बार फिर खाली गया।

                  रंजना वर्मा उन्मुक्त 
                         राँची,झारखंड

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