कवि भास्कर सिंह माणिक कोंच जी द्वारा 'शहीद भगत सिंह' जी विषय पर रचना

मंच को नमन

      शहीद भगत सिंह

क्रांति   की   नव  मशाल  जलाई  भगत सिंह ने
ललकार अंग्रेजों को सत्ता हिलाई भगत सिंह ने
प्राण  अपने  देकर  कर्ज   माटी  का   चुकाया
माता- पिता की यश कीर्ति बढ़ाई  भगत सिंह ने

बचपन  में  ही  बम बंदूके  बोई   भगत सिंह ने
भारत शक्ति  की  पहचान  कराई भगत सिंह ने
कुछ मक्कारों ने पल-पल की खबर पहुंचाई थी
वीर रस अनुपम की  है कविताई भगत सिंह ने

जननी  से बढ़ के जन्मभू  बताई भगत सिंह ने
खुलकर  गद्दारों  की  नींद उड़ाई भगत सिंह ने
दुश्मनों  ने भी कीर्ति सुनाई अपना शीश झुका
जग को सच्ची देशभक्ति सिखाई भगत सिंह ने

जय माल फांसी की रस्सी बताई भगत सिंह ने
मजबूत गुलामी की दीवार गिराई भगत सिंह ने
बलिदान अपना देकर अपना वतन बचा लिया
निर्भय आजादी की लड़ी लड़ाई भगत सिंह ने
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मैं घोषणा करता हूं कि यह रचना मौलिक स्वरचित है।
भास्कर सिंह माणिक,कोंच

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