कवि डॉ.मलकप्पा अलियास 'महेश' जी द्वारा 'भूख' विषय पर रचना

भूख 

सुबह हो गई तो तैयारी
करले रोजी रोटी |

हर कदम रखना है संभाल 
कर, कही छूट ना जाय रोजी 
रोटी का निशाना |

कभी भरती नहीं 
भूख की तिजोरी, उद्यम 
करले अनथक अपनी क्षुधा मिटाने हेतु  |

एक कौर  कमाने हेतु 
करना कितना सर्कस, 
कभी मिल गया तो मिट 
जाती क्षण भर की भूख | 

विधि ने रच दी है 
ऐसी लकीर कभी नहीं 
मिटती कितनी भी कोशिश तू  करले |

सपना देखना दूर, अमीर 
बनना सपना ही  
है मन की शांति हेतु 

डॉ मलकप्पा अलियास महेश बेंगलूर कर्नाटक

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