💐तोता सब जानता है!💐
मन का तोता सब जानता है!
सबके विचारों जज्बातों को,
दिल से सबको पहचानता है!
तन के पिजड़े में होकर कैद,
मन स्वछंद गगन में उड़ता है!
होकर सवार विचारों के रथ पर,
लम्बी ऊँची उड़ान वो भरता है!
जानता है सब मन का तोता,
कौन, कहाँ, कब क्या कहता है?
मन ही मन गुनता है सबकुछ,
मन के, सबकें भाव परखता है !
खुले गगन और आजादी का,
मन से वो अभिलाषित होता है!
पंछी चित-चंचल है हरदम,
एक तोता सा मन होता है!
खुली हवा और पंख हौसलों के,
लेकर मंजिल पे बढ़ता है!
अपनी वाणी सबकें स्वर में,
मन बन तोता बोलता है!
अपनें अंदर की वाणी को,
अच्छे से वो पहचानता है!
तन के पिजड़े में बैठा अंतर्मन ,
की बातों को तोता सब जानता है!
अपनें हौसलों और जिद के आगे,
कहाँ किसी की सुनता है!
सारा भेद छुपा है मन के अंदर,
नकली वाणी बोलता रहता है!
अंतर्मन का तोता सबकी नब्ज़,
विचारों के साथ पकड़ता है!
मन बैठा पिजड़े के अंदर,
तन तो बाहर ही रहता है!
मन का मिठ्ठू सबकी वाणी में,
सीता-राम भजन ही करता है!
मन तो एक पिजड़े का मिठ्ठू,
आजादी से विचरण करता है!
*********************************
स्वरचित और मौलिक
सर्वाधिकार सुरक्षित
कवयित्री-शशिलता पाण्डेय
0 टिप्पणियाँ