आपके हम हैं अभी तक हौसला देता रहा
बेखबर ख़ुद से हुए जब दिल ने चाहा आपको
आपका अंदाज़ नज़राना ज़रा देता रहा
आपकी बस ये हंसी यूंही जिन्दगी में बनी रहे
आज तक बस दिल हमारा ये दुआ देता रहा
हमनें माना लाख दुनिया में हैं चाहने वाले दिल
पर हमारे नाम का कोई वास्ता देता रहा
आपकी हर बात पर है ऐतबार हमें तो यूं
ऐतबार ही हमको धोखा आपका देता रहा
आ भी जाओ धड़कनों ने है पुकारा आपको
आपके बिन दिल हमारा ये सदा देता रहा
ख़्वाब में आते हो अक्सर रात को चुपचाप से
रात दिन का साथ प्यार को आसरा देता रहा
आपकी यादों में 'चंचल ' भूल बैठी दो जहां
दिल को बस दिलदार ये रुसवाईयां देता रहा
चंचल हरेंद्र वशिष्ट,हिन्दी भाषा शिक्षिका,रंगकर्मी, कवयित्री एवं समाज सेवी
आर के पुरम , नई दिल्ली
20/09/2020
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