अभिनंदन पत्र
आज घड़ी है प्रणय का आह्लादित हैं सब लोग ।
ईश्वर ने बैठाया है बड़ा सुखद संयोग ।।
द्वार आए आप सबका कोटी-कोटी नमन है ।
आपके आने से आया बहार-ए-चमन है ।।
जिस दिन बिटिया का जन्म हुआ ना गीत बजे ना शहनाई ।आज हमारे द्वार पर धूम-धाम से बारात आई ।।
दादी का आशीर्वाद रहा,दादा का रहा हमेशा संग ।
माँ की ममता के छाँव तले जीवन में रहा अनोखा रंग ।।
पापा,चाचा और चाची ने इसे अनुपम प्यार दिया ।
भाई-बहन और सखियों ने खुशियों का संसार दिया ।।
आत्म-निवेदन करता हूँ ले अपनी अमानत आज ।
हाथों में आपके जा रही है मेरे घर की नाज ।।
विश्वाश करें मेरी बेटी अपने गृह को महकाएगी ।
आपके दो बातों को भी खुशी-खुशी सह जाएगी ।।
मम् कुटिया की यह शोभा थी जो बरबस अर्पण करता हूँ । यह कन्या रूपी रत्न आपको आज समर्पण करता हूँ ।।
इससे तो भूल बहुत होगी यह गुड़िया सुकुमारी है ।
इसके अपराध क्षमा करना निज माँ की राजदुलारी है ।।
सच ही कहा गया है कि बेटी तो पराई होती है ।
फिर भी जुड़ी हुई इससे दिल की गहराई होती है।।
बेटी की विदाई जब होती पत्थर भी पिघल ही जाते हैं । अपने तो क्या गैरों के भी दो अश्क निकल ही जाते हैं ।।
©️ राजीव रंजन गया (बिहार)
1 टिप्पणियाँ
धन्यवाद
जवाब देंहटाएं