अभिनन्दन पत्र#राजीव रंजन गया (बिहार) जी द्वारा बेहतरीन रचना#

अभिनंदन पत्र
आज घड़ी है प्रणय का आह्लादित हैं सब लोग । 

ईश्वर ने बैठाया है बड़ा सुखद संयोग ।।

द्वार आए आप सबका कोटी-कोटी नमन है । 

आपके आने से आया बहार-ए-चमन है ।। 

जिस दिन बिटिया का जन्म हुआ ना गीत बजे ना शहनाई ।आज हमारे द्वार पर धूम-धाम से बारात आई ।।

दादी का आशीर्वाद रहा,दादा का रहा हमेशा संग ।

माँ की ममता के छाँव तले जीवन में रहा अनोखा रंग ।।

पापा,चाचा और चाची ने इसे अनुपम प्यार दिया ।

भाई-बहन और सखियों ने खुशियों का संसार दिया ।।

आत्म-निवेदन करता हूँ ले अपनी अमानत आज ।

हाथों में आपके जा रही है मेरे घर की नाज ।।

विश्वाश करें मेरी बेटी अपने गृह को महकाएगी ।

आपके दो बातों को भी खुशी-खुशी सह जाएगी ।।

मम् कुटिया की यह शोभा थी जो बरबस अर्पण करता हूँ । यह कन्या रूपी रत्न आपको आज समर्पण करता हूँ ।।

इससे तो भूल बहुत होगी यह गुड़िया सुकुमारी है ।

इसके अपराध क्षमा करना निज माँ की राजदुलारी है ।।

सच ही कहा गया है कि बेटी तो पराई होती है ।

फिर भी जुड़ी हुई इससे दिल की गहराई होती है।। 

बेटी की विदाई जब होती पत्थर भी पिघल ही जाते हैं । अपने तो क्या गैरों के भी दो अश्क निकल ही जाते हैं ।। 

©️ राजीव रंजन गया (बिहार)

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