कवि निर्दोष लक्ष्य जैन जी द्वारा 'बेटी' विषय पर रचना

बेटी     मुक्तक             

   माँ की धड़कन पिता की जान होती है बेटी 
    वेदना   नही       वरदान    होती है  बेटी 
    रोशन  करेगा   बेटा एक   ही कुल    कॊ 
    दो दो  कुल   की     शान    होती है  बेटी .॥ 

          कहते है लोग बेटी है पराई 
       माँ बाप के रग रग में है समाई 
        फिर में केसे मान लूँ बेटी है पराई 
          बेटी तो है माँ बाप की है परछाई    ॥ 

   दुर्गा लक्ष्मी सरस्वती का अवतार है बेटी 
    जीवन का करती   उद्धार   है        बेटी 
     आस्था और सम्मान   होती है     बेटी 
    भार नहीँ  जीवन   का सार होती  है.बेटी ॥ 

        पल पल  साथ   होती है          बेटी 
         सुख हो या दुःख साथ होती है बेटी 
          कभी राधा कभी सीता होती है बेटी 
.        हो यदि दर्द  हमें तो रोती     है  बेटी ॥ 

     हमारा मान सम्मान अभिमान है बेटी 
     आँगन की    फुलवारी   है        बेटी 
      जीवन की   खुशहाली   है        बेटी 
       निर्दोष का लक्ष्य और जान है   बेटी ॥ 

      ईश्वर का वरदान है बेटी 
        ईश्वर की ही देन है बेटी 
       ईश्वर का आँचल है बेटी 
        जीवन भर सुख देती बेटी ॥ 

                  निर्दोष लक्ष्य जैन 
                 ... धनबाद

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