कवयित्री गायत्री ठाकुर "सक्षम" जी द्वारा 'बेटी' विषय पर रचना

दिनांक 27 सितंबर 2020
 विषय -बेटी
 विधा -कविता
                बेटी
  ईश्वर का अनुपम वरदान है बेटी,
सरस्वती और लक्ष्मी का रूप है बेटी।
घर रोशन करने वाला चिराग है बेटी।
 नसीब  वालों को ही मिलती है बेटी।
दोनों कुलों की लाज निभाती है बेटी,
माता, बहन,भार्या का  रूप है बेटी ।
 माता का तो अरमान होती है  बेटी ।
  पिता का सम्मान भी होती है बेटी ।
  माता के साथ काम कराती है बेटी।
भाई बहनों का ध्यान रखती है बेटी।
खुद को भूल सबकी चिंता करती बेटी
सुख दुख में भी साथ निभाती है बेटी।
कभी घरों में बंद रहती थी रानी बेटी ,
 पंछी की तरह उड़ रही है आज बेटी।
 कदम मिलाकर साथ चल रही है बेटी
जमीं सेआसमां तक उड़ रही है बेटी।
समंदर की लहरों पर चल रही है बेटी
देश और राष्ट्र को भी चला रही है बेटी
घर एवं काम का समन्वय हैआज बेटी
 सौम्य ,शांत, सुशील तो होती है बेटी,
पर समय पर दुर्गा भी बन जाती बेटी।
दोनों घरों की ही हरदम शोभा है बेटी।
मुबारक देती"सक्षम"'बेटी दिवस' बेटी।

श्रीमती गायत्री ठाकुर "सक्षम"
 नरसिंहपुर ,मध्य प्रदेश

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ