नमन मंच
बदलाव मंच राष्ट्रीय अंतर्राष्ट्रीय साप्ताहिक प्रतियोगिता दिनांक १-५ सितंबर
*लॉक डाउन शिक्षकों की* *स्थिति*
प्रतियोगिता हेतु
मुक्तक १
गुरु का दर्जा शिक्षक ने पाया है।
बना है सोना वही,।
जिसने खुद को तपाया है।
है शिक्षक ही एक ऐसा ।
भूखा रहकर भी जिसने कर्तव्य को निभाया है।
बस गुरु के पास ही है छेनी वो हथौड़ा।
कि तरास कर पत्थर को भगवान् जिसने बनाया है।
मुक्तक 2
सब घबराए कोरो ना की तबाही से।
शिक्षक भी इस काल में कर्तव्य की गवाही थे।
खड़े थे ऐसे ही विद्यार्थियों के लिए,
समाज में जैसे डॉक्टर और सिपाही थे।
मुक्तक= 3
नमन में उनको बार बार करता हूं।
जिन्होंने दिया ज्ञान मुझको,
उन्हें नमस्कार करता हूं।
उपकार उनका ये ना उतरेगा,
होकर दण्ड वत उनको सत्कार करता हूं।
मुक्तक 4
किसी के लिए गांठ मन में,
ना चुभन देखी है।
शिक्षकों में सदां,ये अंजुमन देखी है।
कर जाते हैं बुरा जो भी अनजाने में,
क्षमा उनके लिए हृदय में,उनके लिए भी तपन देखी है।
कविता गीत
कोरो ना काल में ।
शिक्षक चले अपनी चाल में।
दुनियां जब फंसी बुरे हाल में।
परीक्षा जरूरी थी आगे बढ़ जाने के लिए।
परीक्षा का तकाज़ा पढ़ाने के लिए।
लिंक बनाये,
आनलाईन आये।
फसने ना दिया बच्चों को जंजाल में। १/
बात नहीं केवल नौकरी और पगारी की।
कीमत थी नजरों में जिम्मेदारी की।
लेख बनाए,
चलचित्र दिखाए।
जो उलझ ना बच्चे किसी सवाल में।२/
डर कोरो ना का पूरी दुनियां में छाया है।
शिक्षक को भी इस अकाल ने पूरा सताया है।
बच्चे घर बैठे पढ़ाए,
नए आयाम सुझाए,
माननीय, सम्मानीय ,
माई लार्ड सब शिक्षक ने बनाए,
शिक्षक ना रखता काला कुछ भी दाल में।३/
मौलिक
एल.एस.तोमर मुरादाबाद यूपी
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