मीमांसा दशोरा द्वारा 'समय एक पहेली' विषय पर रचना

समय एक पहेली

वह समय नहीं आएगा जब तक अपराध ना होंगे बंद

वह समय नहीं आएगा जब तलक कृत्रिम कथाएं ना होंगी अप्रभावी

वह समय तभी आएगा जब बंधुत्व का होगा चरम प्रचार

वह समय नहीं आएगा जब तक एक दूसरे से संबंध ना होंगे तरल

वह समय नहीं आएगा जब तक बदलाव को निहारा ना जाएगा एक अच्छी पहल के नेत्रों से

वह समय खड़ा है दूर बहुत जब तक हम ना बदलेंगे 
जब तक दूसरों को बदलने का महत्व हम ना सुझाएंगे जाएंगे

है वह समय खड़ा दूर क्षितिज की ओर जब तक हम ना माने रूढ़ियों को और ना पालें रूढ़ियों में मासूमों को

पास नहीं है वह अभी जब तक इंसानों को बनाकर यंत्र दिखाए जा रहे उच्च स्तर के खेल

पास होगा वह समय जब ही जब बदलाव का केंद्र स्वयं को भी बनाएं

और जब यह समय होगा पास ज
छाएगी खुशहाली मनेगा त्यौहार।

मगर जब तलक मानव के भीतर जीवित है अहंकार का कीटाणु
तब तलक नहीं दिखेगी रोशनी हमें उस दीप की-
           जिस दीप में भरा होगा प्रेम एवं एकता का इंधन

‌ - मीमांसा दशोरा 
कक्षा-दसवीं
पता- रावतभाटा (जिला - चितौड़गढ़) , राजस्थान
ईमेल-आईडी - 
meemansadashora@gmail.com

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